Anshul Kaushik

पापा, a poetry by Anshul Kaushik, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

पापा

पापा जिनके साथ से मुकम्मल मेंअपनी ज़िन्दगी को मानती,एक बेहतरीन मार्गदर्शक मेंपापा आप को ही जानती…जो बेशक कुछ भी न कहेआँखों से बयाँ बस कर जाते है,जो देख लूँ चेहरा उनका मेंहर मुश्क़िल का हल हो जाए…आवाज से है जिनकी घर मेंएक अलग सा ही माहौल हैं,उनसे जुडी हर चीज़ घर मेंवास्तव में अनमोल है…पिता […]

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माँ, a poetry by Anshul Kaushik, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

माँ

माँ चाहे कितनी ही हो फिक्र भलेवो बिलकुल नहीं दिखती है,माँ है ना…ऐसे ही अपने अर्थ को दर्शाती है…लगे बुरा किसी बात का तो,वो हमको नहीं बताती हैचाहे नम हो जाएँ आँखेंकभी वो मुँह धोकर आ जाती है…हर छोटी छोटी बातों परवो मुझे बैठ समझती है,तू भोली है ये कहकरमुझे दुनिया से अवगत करवाती है…घर

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