भ्रम, a poetry by Dhrupam Das, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

भ्रम

भ्रम “कहते हैं नारी का सम्मान यहाँ,पर देवी-सी डॉक्टर भी हैं परेशान यहाँ।सुरक्षा के वादे तो रोज़ सुने,पर डर से घर से निकलें गिने-चुने !बाज़ार गए थे कुछ सामान लाने,दाम सुनकर लौटे खाली थैले थामे ।महंगाई ने ऐसा खेल रचाया,सब्ज़ी भी अब तो EMI पर आया!सरकार कहे “हम विकास करेंगे”,पर टैक्स के पैसे कहाँ सहेजेंगे?गाँव […]

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