Nishi Singh

I am a PGT Chemistry teacher interested in writing Hindi poetries and short stories. Some of my poems and stories have also been published.

लुप्तप्राय प्रजाति की पुकार, a poetry by Nishi Singh, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

लुप्तप्राय प्रजाति की पुकार

लुप्तप्राय प्रजाति की पुकार हे मानव!तुम हो प्रकृति के रखवाले,फिर भेदभाव क्यूँ डाले,हमको बेघर करके तुमखुद का घर बनाते होक्यूँ तुम पेड़ों को काटहमको बहुत सताते हो ।जाने कितने लुप्त हुएआगे हम सब भी खो जायेंगेतुम्हारी आधुनिकता के खातिरहम बेमौत ही सो जायेंगे।अब तो हम पे रहम करोअपने स्वार्थी होने पे शरम करोमत भूलो हमको […]

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मृत्युभोज, a story by Nishi Singh, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

मृत्युभोज

मृत्युभोज मृत्यु एक सत्य!इंसान चाहे जितने भी हाथ पैर मार ले पर इस सत्य से मुख नहीं मोड़ सकता कि एक न एक दिन उसका अंत अवश्य होगा। पर इस सच्चाई को मानने से वह डरता है। डर का कारण होता है उसका मोहबंधन, जिन मोतियों को वह जीवन पर्यन्त धागों में पिरोता है, उसके

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