तू क्यों रहता है मेरे
क्यों बहता हैं तू मेरे अंदर, क्यों तू मुझे चुराता है निशब्द पन्नों पर तू खुद को क्यों मुझसे लिखवाता है कसमसाती सी मन की गलियों में ख़्याल तेरा, हर रोज मुझसे टकराता है यूं रुठ के जाना तेरा मुझसे, मन को मेरे आज भी तड़पाता है वक्त दूर चला जाता है बेशक, मगर मन […]
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