आख़िरी किरण by Raj Shukla

आख़िरी किरण

आख़िरी किरण बेरंग सी इस जिंदगी में, भर गयावो रंग हो तुम,दूरियां भी है बहुत यूं,उन दूरियों का संग हो तुम ।दिल भी मेरा क्या करे,इस प्यार का मलंग हो तुम,आवेश में-जिसके हम बहे,वो एक नई तरंग हो तुम ।हूं अव्यवस्थित मैं अगर तो,जीने का एक ढंग हो तुम,ना-माशुका ना-प्रेमिका हो,मेरे-देह का एक अंग हो […]

आख़िरी किरण Read More »