आदत, a poetry by Sheena Sarah Winny

आदत

आदत बनाकर खुशी को आदतजिंदगी बनेगी सुहानीदिन नहीं कटतीजंजीरों से दबकर ।रेत के जैसीखुशी के पलसमेटे रखोहीरे की तरह –आदत न छोड़नाजिंदगी को पिरोनासुरों की अनदेखी तार से ।खुशहाली आएमन के प्याले सेछलके जब खुशीसावन की बूंदें जैसी। Sheena Sarah WinnySheena Sarah Winny is an educator, writer and poet. gyaannirudra.com/

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