जिंदगी - a poetry by Sheetal Sharma

जिंदगी

जिंदगी ए जिंदगी क्या है तू,वसंत में खिली सरसों की पीली फसल सी लहराती है तू,कभी नवजात शिशु की पहली किलकारी में गाती है तू,ग्रीष्म ऋतु में तपती धूप सी इठलाती है तू,कभी युवा के भीतर दृढ़ निश्चय को छलकाती है तू,पतझड़ में गिरे भूरे पत्तों की धीरता को दर्शाती है तू,कभी मध्य आयु की […]

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