नारी और समाज एक परिचय, a poetry by Shivam Tiwari

नारी और समाज : एक परिचय

नारी और समाज : एक परिचय ए नारी तू साड़ी पहने ,प्रतीत होती सजीव है क्यासहती है तू दुर्व्यवहार ,लगता है निर्जीव है क्याचली अलंकृत होकर ऐसे ,प्रतीत हुआ सजीव है क्यासहती जब तू अत्याचार ,लगता है निर्जीव है क्या देवी नारी, माता नारी ,फिर से लगा तू सजीव है क्याआंखों से जब स्वप्न हटा […]

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