कृष्ण-द्रौपदी संवाद, a poetry by Shalini Singh

कृष्ण-द्रौपदी संवाद

कृष्ण-द्रौपदी संवाद हे कृष्ण सखा बल्दाई,मेरे पालनहार कन्हाई।मैं सखी तुम्हारी कृष्णा,चाहती तुमसे कुछ कहना ।जिस सभा कलंकित में तुमने,सम्मान को मेरे बचाया था।नारी को गरिमा का कान्हा,हां मान तुम्हीं ने बढ़ाया था।तब दृढ़ विश्वास हुआ मुझको,तुम सचमुच सबके रक्षक हो।पापियों के काल हो तुम,सर्वनाशक हो, भक्षक हो ।पर प्रश्न है मेरे मन में उठा,होता है […]

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