व्योम मे रुका मैं।, a poetry by Kushaan Seth, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

व्योम मे रुका मैं।

व्योम मे रुका मैं। मेरी जान मेरी बूँद हैबिन-बूँद न गंभीर मेंहूँ मैं अकेला कुछ नहींतेरे साथ होता बीर में।हूँ मैं दुखी तेरी चाह परतुझको है मिलना क्षीर में । निकले थे आँसू आँख से ,जब था सुना वो शब्द मैंकहती है मेरे प्रेम कोजकड़े हो तुम ज़ंजीर में । उसकी कही इस बात परमैं […]

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