एक अनमोल कथा
एक अनमोल कथा बालमन का भोलापनभोलेपन में एक नटखट सी छुवन,एक पंछी आज पकड़ लूँ मैंबंदी बना कर उसको अपना,साहस जरा सिद्ध कर दूँ मैं। वो जाल बिछा, वो सेंध लगी….वो घेराबंदी आरम्भ हुईभोला पंछी कुछ समझ न पाया,दाने की इस तृष्णा ने …..आज उसे कैसा फंसाया । शांत पड़ गया पिंजरे में वोटुकुर -टुकुर […]