एक जुदा सा ख्याल, a poetry by Chanda Arya, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

एक जुदा सा ख्याल

एक जुदा सा ख्याल जिंदगी यूं तो मिली है कतरा -क़तरा,क्यूँ न उन कतरों को जोड़ कर एक ताजमहल बनाऊँ ।सिमटा लूँ, सहेज लूँ, सभी मुस्कानों और आँसुओं को,क्यूँ न गूँथ कर सबको कुछ मीनारें बनाऊँ ।दिल के आईने में हैं जो गुमशुदा से चेहरे,हैं जिंदगी में घुले पर जुदा से चेहरे,क्यूँ न उन्हें फिर […]

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