कलि की सुन्दरता, a poetry by Jishnu Trivedi

कलि की सुन्दरता

कलि की सुन्दरता एक बाग मै एक दिन कलि लगी,सुंदर, मनमोहक कलि लगी।नाजुक सी वो, कोमल थी वो, नन्ही सीसबको प्यारी थी वो ।पवन से शान से लहरातीना अधेड पत्तो सी गिर जाती वो । एक बाग मै एक दिन कलि लगी,सुंदर, मनमोहक कलि लगी।न जाने वह अपने आप ही एक दिन खिल उठी ।न […]

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