कोई नहीं यही सही, a poetry by Bhargavi Vasaikar, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

कोई नहीं यही सही

कोई नहीं यही सही जो है उसी से खुश हो जाएंगेजो नहीं है उसका ग़म ना मनाएंगेकिस्मत का खेल भी समझ ही जाएंगेहम भी काबिल है कुछ ना कुछ तो करके ही दिखाएंगेक्या गिले क्या शिकवेक्या दुख और क्या सुखअब सब एक जैसे ही लगेंगेकोई नहीं यह पड़ाव भी हम हंस के सह लेंगेमाना समस्याएँ […]

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