नसीब, poetry by Minkal Narula

नसीब

नसीब जानती हूं मुश्किल हैपर सबका यही नसीब है।जो आता है एक बारउसके जाने की भी लकीर है।जो जमीन पर लाखो का प्यारा हैउससे खुदा भी उतना ही प्यार करेगाइस दुनिया में इतना ही थाअब वो खुदा के घर रहा करेगा।जानती हूं आसान नहींपर नियम चला आ रहा हैजुदाई का यह सिलसिलाबहुत मुश्किल होता जा […]

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