नारी जीवन
नारी जीवन जीवन का पथ था काँटों भरा,थे पग पग पर अंगार बिछे,वह चलती रही और चलती रही,परिभाषित करती, जीवन है चलने का नाम ।तीव्र वचनों के बाण चले,तीक्षण दृष्टि के वार हुए,वह सहती रही और सहती रही,परिभाषित करती, जीवन है स्पंदन का नाम ।रुक गई …….. वायु शिथिल पड़ जाएगी,रुक गई……….. प्रकृति मृत हो […]