पतझड़
पतझड़ जब धरती के कैनवास परउदासी की सियाही जमने लगे,तब समझनादूर क्षितिज सेदबे पाओंपतझड़ का आगमन हैजब पंछियों की आवाज़ेंकहीं दूर वादियों सेआती हुई लगने लगें,तब समझना पतझड़ हैजब सूखे पत्तों परकदम दर क़दम चलते हुएकिसी वीरान मंज़िल की ओरजाने का अहसास होतब समझना पतझड़ है ..जब खण्डहरों की टूटी दीवारोंऔर झरोखों से झाँकतेसूनेपन को […]