प्रेम
प्रेम तेरे प्रेम मेंऔर मेरे प्रेम मेंकेवल एक व्याख्याविषय का फरक था ..तेरा प्रेम संसारिक था,मेरा प्रेम अलौकिक,तेरा प्रेमसंसार की गतिविधियों के साथबढ़ता, घटता, बदलता रहा..मेरा प्रेमभूमंडलीय प्रकाश की भाँतीअपने स्थान परचिर स्थिर रहा – ना बड़ा ना घटा ..तेरे प्रेम का ज्ञानभौतिक आवरणों सेढका हुआ था,मेरा प्रेम अवर्णीय थाअविनाशी था …तेरा प्रेमअर्थों से भरा […]