बढ़ा कदम, a poetry by Deepti Kapila

बढ़ा कदम

बढ़ा कदम बढ़ा कदम, बढ़ा कदम,तुझमें है दम, तुझमें है दम !तू करता आया है ,तुझे करना ही होगा,हार तू मानेगा नहीं, तुझे जीतना ही होगा..तुझे तेरी कसम, तुझे तेरी कसम,बढ़ा कदम, बढ़ा कदम,तुझमें है दम, तुझमें है दम!!वो भी इक दौर था,जब तू निराश था ,तुझे तेरा ही था वास्ता ,तू करता गया,तू बढ़ता […]

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