माँ, a poetry by Anshul Kaushik, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

माँ

माँ चाहे कितनी ही हो फिक्र भलेवो बिलकुल नहीं दिखती है,माँ है ना…ऐसे ही अपने अर्थ को दर्शाती है…लगे बुरा किसी बात का तो,वो हमको नहीं बताती हैचाहे नम हो जाएँ आँखेंकभी वो मुँह धोकर आ जाती है…हर छोटी छोटी बातों परवो मुझे बैठ समझती है,तू भोली है ये कहकरमुझे दुनिया से अवगत करवाती है…घर […]

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