मैंने खुद को खुद से जुदा होते देखा है, a poetry by Nitika

मैंने खुद को खुद से जुदा होते देखा है

मैंने खुद को खुद से जुदा होते देखा है चलती ऐसी जिंदगी की रेखा है,मैंने खुद को खुद से जुदा होते देखा है।इतनी आसान नहीं होती जिंदगी,ये पता चला जब घर से बाहर मैं निकली।लोगों की बातों में मैंने खुद को फिसलते देखा है,मैंने खुद को खुद से जुदा होते देखा है।माना कि हार गई […]

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