लुप्तप्राय प्रजाति की पुकार, a poetry by Nishi Singh, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

लुप्तप्राय प्रजाति की पुकार

लुप्तप्राय प्रजाति की पुकार हे मानव!तुम हो प्रकृति के रखवाले,फिर भेदभाव क्यूँ डाले,हमको बेघर करके तुमखुद का घर बनाते होक्यूँ तुम पेड़ों को काटहमको बहुत सताते हो ।जाने कितने लुप्त हुएआगे हम सब भी खो जायेंगेतुम्हारी आधुनिकता के खातिरहम बेमौत ही सो जायेंगे।अब तो हम पे रहम करोअपने स्वार्थी होने पे शरम करोमत भूलो हमको […]

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