गठरी
गठरी अपने-अपने सिर पर सब, अदृश्य बोझ ले चलतेमन में सपने और आशा, बिन खाद और पानी पलतेबिन खाद और पानी पलते, सपनों में सपना एक जगताजैसे ही खुद का बोझ बढ़े, दूजे का हल्का लगतादूजे का हल्का लगता पर, खुद का लगता है भारीइसी वहम में नजरें सबने,एक दूजे पर डारीएक दूजे पर डारी […]