“अम्ल” [Acid]
कभी ना कुछ अलग सी थी, मैं भी बस सब सी थी। बेपरवाह मुस्कान थी मेरी, आशायें तो जान थी मेरी। छुना मुझे भी आकाश था, आत्मविश्वास ही मेरे सपनों का निवास था। तेज धूप कहूँ या उसे दिन में अमावस, घर से निकली मैं, लौट के ना आई वापस। ज्वाला के जहर का वो […]