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चाय सी जिदंगी, a poetry by Atal Kashyap, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

चाय सी जिदंगी

चाय सी जिदंगी जिदंगी चाय सीनजर आती है,कभी दुखों की काली तोकभी सुखों की दूध जैसीचाय सामने आ जाती है,निकलती रहती है भाप भीगरम परिस्थितियों माफिक,सब्र की फूंक से धीरे-धीरेहलक से नीचे की जाती है,उड़ जाती है थकानकोशिशों के छोटे-छोटे घूँट से,सफलता की मिठास सेचेहरे पर मुस्कान आ जाती है,होता है ताजगी का अनुभवसंघर्ष की […]

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Around you, a poetry by Ankita Meher, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

Around you

Around you A simple fantasy or wish fulfillment,Moving with the world, you realize,There is much to do unless you give it a try,The game is around you; you are the one to change its view.Never forget the day you live smiling as the time will come again,for you to see you keep smiling.Everything happens for

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व्योम मे रुका मैं।, a poetry by Kushaan Seth, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

व्योम मे रुका मैं।

व्योम मे रुका मैं। मेरी जान मेरी बूँद हैबिन-बूँद न गंभीर मेंहूँ मैं अकेला कुछ नहींतेरे साथ होता बीर में।हूँ मैं दुखी तेरी चाह परतुझको है मिलना क्षीर में । निकले थे आँसू आँख से ,जब था सुना वो शब्द मैंकहती है मेरे प्रेम कोजकड़े हो तुम ज़ंजीर में । उसकी कही इस बात परमैं

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जिंदगी हर पल कुछ नया सिखाती हैं, a poetry by Khushi Soni, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

जिंदगी हर पल कुछ नया सिखाती हैं।

जिंदगी हर पल कुछ नया सिखाती हैं। की जिंदगी हर पल कुछ नया सिखाती हैं|हर सुबह माँ की मुस्कान नहीं उठाएगी,तो हर रात किताब लोरी नहीं सुनाएगी,हर दिन पापा अपने हाथों से खाना नहीं खिलाएगें,तो हर समस्या का समाधान शिव सपनों में आकर नहीं बताएंगे,की जिंदगी हर पल कुछ नया सिखाती हैं|कहने को तो हर

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पहला प्यार, a poetry by Monika bararia, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

पहला प्यार

पहला प्यार सावन की पहली बरसात सा होता है पहला प्यारओस की बूंद की तरह सतह पर ठहरा सा होता है पहला प्यार……..वक्त रुक जाता है सब छूट जाता हैबस यादों में वक्त की तरह रुक जाता है पहला प्यार…..उमंगों की तरह बसता हैरंगों की तरह बिखर जाता है पहला प्यार……यादों में पन्ने पलटने जैसा

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मंजिल की चाह, a poetry by Kumari Janvi, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

मंज़िल की चाह

मंज़िल की चाह मंजिल पाने की चाह हैं,तुम आगे तो बढ़ो, सामने ही राह हैबस बढ़ते चलना, तुम रुकना मत,आगे तो कठिनाइयाँ आएँगी, तुम डरना मत।मुलाकातें तो बहुत लोगों से होगी, उनमें से कुछ अच्छे होंगे और कुछ बुरेघबराकर पीछे मत मुड़ना,बस, याद रखना तुम्हें सिर्फ अच्छे के साथ है जुड़‌ना ।बढ़ते चलो, जरूर मिलेगी

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अबला अब गाँडीव उठा, a poetry by Bhagat Singh, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

अबला अब गाँडीव उठा

अबला अब गाँडीव उठा कब तक पथ-पथ लथपथ नारी यूंही फेंकी जाएगीकब तक अस्मत रिस-रिस लोचन देवों से आस लगाएगीयहाँ देव मौन हर बार हुए, पर वसन तेरे ही तार हुएदेखो आ धमके दुःशासन,सोया भी देखो प्रशासनरीढ़ तोड़कर वज्र उसी की छाती में कब गाड़ोगीअबला अब गाँडीव उठा कौरव का मस्तक फाड़ोगी॥कृष्ण बनेगा कौन यहाँ

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किरण कनोज़िया साहस की अमिट गाथा, a poetry by Dr. Yakshita Jain, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

किरण कनोजियाः साहस की अमिट गाथा

किरण कनोजियाः साहस की अमिट गाथा(भारत की पहली ब्लेड रनर को समर्पित) किरण थी एक साधारण लड़की,सपनों से भरी, हृदय से सच्ची ।फरीदाबाद की गलियों में पली,शिक्षा में कुशल, निष्ठा में ढली ।पच्चीसवें जन्मदिन पर जो घटा,नियति ने नया अध्याय रचा।“रेलयात्रा में थी, पथ था सरल,पर विधि का विधान था निर्मम प्रबल । “किंतु —लुटेरों

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दिव्यता, a poetry by Kumar Thakur, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

दिव्यता

दिव्यता तुम से प्रेम करकेमैंने बहुत कुछ सिख लिया,घी, मखन, छाछ को,अलग करना सिख लिया,विष को पीना सिख लियागले में रखना सिख लिया,अमृत को बांटना सिख लियाजीवन को समझना सिख लियाप्रेम सहज चीज़ नहीं हैचाहे किसी से भी करो,बलिदान देना पड़ता हैअपनी इच्छाओं काअपनी खुशियों का,अपने सुख का,अपने अस्तित्व का,मन रूपी समंदर कामंथन करना पड़ता

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