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शिक्षक दिवस

हमारे सभी शिक्षकों को हमारा कोटि-कोटि प्रणाम;उनकी अपने शिष्य के प्रति मेहनत देखकर करते हैं हम उन्हें सलाम।।बहुत भाग्यशाली हैं हम जिनके पास है शिक्षकों का बंधन;सबका जीवन मेहका देते हैं ये, जैसे हों चंदन।।हमें ये इस तरीके से हैं पढ़ाते;कि हमारे सारे डाउटस क्लियर हैं हो जाते;हर दिन कुछ ना कुछ ये नया ही हैं सिखाते;सही और गलत में फर्क भी बहुत अच्छे से हैं समझाते;ज़िंदगी के हर मोड़ पर ये हमारा साहस हैं बढ़ाते;ज़िंदगी में अनुभव का हमें ये महत्व भी हैं बताते;हमें अपनी मंज़िल को हासिल करने का ये रास्ता हैं दिखाते;मंजिल में आने वाली कठिनाइयों का ये हल बता कर, हमारी कठिनाइयों को भी हैं मिटाते;अपनी हर ज़िम्मेंदारी ये बाखूबी हैं निभाते;अपने हर शिष्य को ये कामयाब होते देखना हैं चाहते;बहुत खुशनसीब हैं हम जो ये हमारी जिंदगी में हैं आते;हम तो अपने सभी शिक्षकों को दिल से हैं भाते;हमें ये अच्छा इंसान हैं बनाते;तभी तो ये हमारे गुरु हैं कहलाते।।गुरु का कोई भी नहीं ले सकता स्थान;इसलिए कभी भी मत करो इनका अपमान;सभी शिक्षकों का करते हैं हम सम्मान;इनका आशीर्वाद है वैसे, जैसे हो किसी प्रभु का वरदान।।जब-जब भी हमने हौंसला है हारा;हर समय ये बने हैं हमारा सहारा।।हर शिक्षक ने दिया हमें इतना प्यार;कि हर वक्त रहेंगे हम उनके शुक्रगुज़ार।।जिन्होंने हमें हर एक चीज़ अच्छे से है सिखाई;हमें हमारी मंज़िल तक पहुँचाने की सही दिशा है दिखाई;उन सभी को हमारी तरफ से शिक्षक दिवस की बहुत-बहुत बधाई।। Nitikaमेरा नाम नीतिका है। मैं पटियाला, पंजाब से हुँ। मेरा जन्म 19/10/2001 को हुआ था। मेरे माता जी का नाम श्रीमती स्नेह लता और पिता जी का नाम श्री शीश पाल गोयल है। मैंने अपनी डिग्री सरकारी बिक्रम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, पटियाला से पूरी की है(2023 में)। मेरे कुछ शौंक एवं रूचियां – कविता […]

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मेरी लेखनी

मेरी लेखनी

आज बहुत दिनों बाद जब उठाया, अपनी लेखनी को मैंने , यकायक जाहिर करते हुए नाराजगी,सवाल करती है वो मुझसे कि आजकल बहुत खफा रहने लगी हो तुम हमसे? मैंने मुस्कुरा कर कहा -इसी दुविधा में हूं,सखी आजकल मैं कि क्या लिखूं? कुछ सूझता ही नहीं है मुझे…… दर्द लिखूं कि खुशियां लिख  दूं, अपने

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तू क्यों रहता है मेरे

क्यों बहता हैं तू मेरे अंदर, क्यों तू मुझे चुराता है निशब्द पन्नों पर तू खुद को क्यों मुझसे लिखवाता है कसमसाती सी मन की गलियों में ख़्याल तेरा, हर रोज मुझसे टकराता है यूं रुठ के जाना तेरा मुझसे, मन को मेरे आज भी तड़पाता है वक्त दूर चला जाता है बेशक, मगर मन

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विज्ञान

विज्ञान

जो हर स्वप्न को साकार कर दे, कल्पनाओं को मूर्त रूप दे दे, जो जीवन को विकास की नयी दिशा दिखा दे, वो ज्ञान ही तो विज्ञान है जो धरा से गगन तक पहुँचा दे, जो दूर बैठे हुए से मिला दे जो उन्नति की नयी राह दिखा दे, वो ज्ञान ही तो विज्ञान है.

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मेरे पहाड़ के लोग

मेरे पहाड़ के लोग

पर्वतों के डेरो को छूकर,सुनहरी खिलती धूप जहां थी,आकाश व्यापी चिड़ियों की धुन पर,कल कल नदिया भी थी गीत सुनाती,इस समय चक्र की छाया में नज़ाने सब क्यूं सो गए,हाय! मेरे पहाड़ के लोग सब नज़ाने कहा खो गए।। लकड़ी गोबर के बने घरों में,खिड़की से आवाज लगाते थे।।फिर अम्मा बुबू के साथ बैठ हम,चाय

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साथियों कर गुज़रते हैं देश के लिए

साथियों कर गुज़रते हैं देश के लिए, इस देश के लिए, अपने देश के लिए। ये ममता की माटी है, एकता सिखाती है, प्रेम से बाँधकर, हौसला बढ़ाती है, चलो इसके हित को चाहते हैं, अपने देश के लिए । साथियों कर गुज़रते हैं देश के लिए,इस देश के लिए, अपने देश के लिए। छाया

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अब चलो मान भी जाओ न

अब चलो! मान भी जाओ न क्या मन में मेरे मैल भरा, या दूषित सीरत है मेरी? तुम हर पल मुझसे खफ़ा रहो, क्या फूटी किस्मत है मेरी? व्यथा अगर हो कुछ तेरी, मैं दूर उसे कर जाऊंगा मैं दोषी हूँ क्या? आज बता दो, घुट-घुट न जी पाऊंगा। वो पहले वाले प्रेमगीत, फिर झूम-झूम

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आलोचना

आलोचना से कर्ण-पट को बंद करके क्या मिलेगा? अश्रुओं से “चक्षुओं” को द्रवित करके क्या मिलेगा? विरहाग्नि का दमन कर,उपलब्धियां तुझमें बहुत हैं आलोचना को सहन कर,खूबियां तुझमें बहुत हैं कायर नहीं, तुम वीर हो, दमनात्मक शमशीर हो दुःशासन को खींचने दो, कृष्ण का तुम “चीर” हो “आलोचना इक जौहरी” प्रतिभामयी हीरा तराशे भावना को

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खुशी

सीख

आज खिलते हुए रंगो से कुछ सीखते हैं, चलो आज इन रंगो की तरह खिलते हैं हर किसी की जिंदगी में गम के बादल तो होते हैं, चलो आज खुशियो के कुछ रंग बिखेरते हैं चलो आज इन रंगो की तरह खिलते हैं इन्द्रधनुष सी चमक लिए इस जग को रोशन करते हैं चलो आज

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खुशी

खुशी

किसी की मुस्कुराहट बन सको, तो उसे कहते हैं खुशी किसी के गम को बाँट सको, तो उसे कहते हैं खुशी जिंदगी सिर्फ जीने का नाम नहीं है किसी को जिंदगी जीना सिखा सकें, उसे कहते हैं खुशी किसी को बिन वजह हँसा सके, तो उसे कहते हैं खुशी खामोशियों में दबे गम को मिटा

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