juhi khanal

मैं सती अभी भी ज़िंदा हूं, a poetry by Juhi Khanal

मैं सती अभी भी ज़िंदा हूं

मैं सती अभी भी ज़िंदा हूं ओझल हूँ आकाश सी, निश्चल हूँ पलाश सी,उन्मुक्त अधर्मी मन हृदय में, धर्म हूँ कैलाश सी,दक्ष की कन्या, शिव की शक्ति,मैं जन्म से ही सुगंधा हूँ, मैं सती अभी भी जिंदा हूँ ।पहुँची पिता दक्ष के महा यज्ञ में, पुत्री महा कृतज्ञ मैं,शिव की ना सुनकर अपनी ज़िद पर, […]

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Poetry writing

“अम्ल” [Acid]

कभी ना कुछ अलग सी थी, मैं भी बस सब सी थी। बेपरवाह मुस्कान थी मेरी, आशायें तो जान थी मेरी। छुना मुझे भी आकाश था, आत्मविश्वास ही मेरे सपनों का निवास था। तेज धूप कहूँ या उसे दिन में अमावस, घर से निकली मैं, लौट के ना आई वापस। ज्वाला के जहर का वो

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Poetry writing

साथियों कर गुज़रते हैं देश के लिए

साथियों कर गुज़रते हैं देश के लिए, इस देश के लिए, अपने देश के लिए। ये ममता की माटी है, एकता सिखाती है, प्रेम से बाँधकर, हौसला बढ़ाती है, चलो इसके हित को चाहते हैं, अपने देश के लिए । साथियों कर गुज़रते हैं देश के लिए,इस देश के लिए, अपने देश के लिए। छाया

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