नारी शक्ति, poetry by Manisha Chauhan

नारी शक्ति

नारी शक्ति वो सौ जख्म खाकर भी सब सहती हैवो नारी है जो ना कभी डगमगाती हैमाथे पर बिंदी, मांग में सिन्दूरलगाके वो जगमगाती है।वो नारी है जो कभी ना घबराती हैसाहस इतना देखो हर कोई देखेघबराते हैंवो नारी है जो कभी ना मात खाती हैवो जब अपने पर बन आये तो अपने देश या […]

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