मर्द, a poetry by Mayank Maheshwari, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

मर्द

मर्द क्या वो ही मर्द है जो रो नहीं सकता,बिना जिम्मेदारी के सो नहीं सकता?पुरुष प्रधान कहते थे समाज को,क्या वो ही मर्द है जो हुकुम चलाता था नारी को?आरक्षण से नारी की सुरक्षा का प्रबंध हो जाता है,क्या वो ही मर्द है जो झूठे आरोप में मारा जाता है?पीड़ा अगर स्त्री को हुई तो […]

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