Minkal Narula

दुनिया, a poetry by Minkal Narula

दुनिया

दुनिया नशा होता नहीं नशा करना पड़ता हैइस दुनिया में सबसे संभल के चलना पड़ता हैकौन किसका है ये बात कोई नहीं जानता हैएक ऊपर वाला ही है जो सबको अच्छे से पहचानता हैसीख तो हमें वक्त देता है कदर न पाकर भी सबको हक देता हैपर रुकता नहीं वो किसी की बेकद्री या कदर […]

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नसीब, poetry by Minkal Narula

नसीब

नसीब जानती हूं मुश्किल हैपर सबका यही नसीब है।जो आता है एक बारउसके जाने की भी लकीर है।जो जमीन पर लाखो का प्यारा हैउससे खुदा भी उतना ही प्यार करेगाइस दुनिया में इतना ही थाअब वो खुदा के घर रहा करेगा।जानती हूं आसान नहींपर नियम चला आ रहा हैजुदाई का यह सिलसिलाबहुत मुश्किल होता जा

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