ये कैसा तुम्हारा प्यार है, वो अब मेरी समझ के बाहर है, a poetry by Riya Narain, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

ये कैसा तुम्हारा प्यार है, वो अब मेरी समझ के बाहर है..!!

ये कैसा तुम्हारा प्यार है, वो अब मेरी समझ के बाहर है..!! तुमने तीन दिन में किया प्यार का इज़हार,कहा कि हमारे साथ में ही करार है…!!कहा ये तुम्हारे साथ ज़िंदगी बिताने को तैयार है…!!ये कैसा तुम्हारा प्यार है,जो अब मेरी समझ के बाहर है…!!! मैंने किया तुम्हें डर से इनकार,क्योंकि तुम्हें आता ज़्यादा ग़ुस्सा […]

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