Shalini SIngh

कृष्ण-द्रौपदी संवाद, a poetry by Shalini Singh

कृष्ण-द्रौपदी संवाद

कृष्ण-द्रौपदी संवाद हे कृष्ण सखा बल्दाई,मेरे पालनहार कन्हाई।मैं सखी तुम्हारी कृष्णा,चाहती तुमसे कुछ कहना ।जिस सभा कलंकित में तुमने,सम्मान को मेरे बचाया था।नारी को गरिमा का कान्हा,हां मान तुम्हीं ने बढ़ाया था।तब दृढ़ विश्वास हुआ मुझको,तुम सचमुच सबके रक्षक हो।पापियों के काल हो तुम,सर्वनाशक हो, भक्षक हो ।पर प्रश्न है मेरे मन में उठा,होता है […]

कृष्ण-द्रौपदी संवाद Read More »

कुल्हाड़ी से कलम तक by Shalini Singh

कुल्हाड़ी से कलम तक

कुल्हाड़ी से कलम तक इक रोज़ बैठी गलियारों से,देखा था उसे चौराहे पर ।हो दूर उजाले से बहुत,देखा था उसे अंधियारे पर।उसकी भुजाओं की ताकत में,मुझको मां दुर्गा दिखती थी।उसकी मेहनत की परिभाषा,साहसी, वीरांगना दिखती थी।अपने कपाल की ताकत से,वो ढोती थी बालू मिट्टी |पीड़ा को छिपा दुःख दर्द बहा,न रोती थी, न खोती थी।जो

कुल्हाड़ी से कलम तक Read More »

Open chat
Hello
Chat on Whatsapp
Hello,
How can i help you?