अनन्त राहें

अनन्त राहें

रास्ते रुकते नहीं, मुसाफिर ही रुक जाते हैं,
संकरे होते हुए रास्ते पगडंडियों में बदल जाते हैं,
पगडंडी के उस पार भी निकल पड़ता है एक रास्ता,
कदमों की चाहत हो अगर पगडंडी के पार जाने की।
रास्ते रुकते नहीं, मुसाफिर ही रुक जाते हैं,
रास्तों के पार किसी को दिखता है कोई चेहरा,
कोई देख लेता है बरसों पुराना कोई सपना पूरा होता,
किसी के जीवन का लक्ष्य ही उस पार टिका होता है।
फिर रास्ते रुकते नहीं उनके, नयी राहें निकल आती हैं,
रास्तों की अड़चनें भी राहें दिखाती जाती हैं।
रास्ते रुकते नहीं उनके जो मुसाफिर निरन्तर चलते रहते हैं,
क्योंकि रास्तों के पार भी रास्ते कई होते हैं।

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