उम्मीद के जुगनु हौसलों में जलाए रखना, a poetry by Neelam Chhibber

उम्मीद के जुगनु हौसलों में जलाए रखना

उम्मीद के जुगनु हौसलों में जलाए रखना

हौसला जो डगमगाए कभी, तो उसे हिम्मत से संभाले रखना।
आंख से आंसू ना गिरने पाए, उसे पलकों में दबाए रखना ।
ढूंढ लेते हैं बहादुर अंधेरों में भी मंजिल,
उम्मीद के जुगनू अपने हौसलों में जलाए रखना
जमीं से जुड़कर रहना, पर नजर आसमान पे रखना ।
बुलंद इरादों के तरकश में, कोशिशों के तीर रखना |
हार कर, गिरकर, फिर संभलने का जज्बा बनाए रखना ।
जीतना है मुझको, जीत कर ही रहूंगा,
खुद पर ये मजबूत यकीन बनाए रखना ।
मेहनत से कभी गुरेज न करना ।
किस्मत में नहीं है, ये कह कर कभी खुद को न छलना ।
गिरने से ना घबराना कभी, गिर के उठना,
उठ के संभालना, संभल के फिर दौड़ना ।
बेहतर से बेहतर की तलाश रखना,
अगर मिले नदी तो समंदर की आस रखना
बिना रुके, बिना थके, सदा आगे ही आगे बढ़ना ।
जमीं भी तुम्हारी, जमाना भी तुम्हारा,
जहां तक उड़ान भर सको सारा आसमां होगा
तुम्हारा ही तुम्हारा ।।।

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