अपने अंतस का प्रेम जो आँखों से बाहर आ रहा है
उस मोती को शब्द -ब -शब्द लिख रहा हूँ
ये दिल, दिमाग, साँसे अपनी दुनियां ही नहीं
मैं अपनी आत्मा को तेरे नाम कर रहा हूँ l
कुछ दिनों पहले जो ये ख़्वाब देखा था हमें तेरी माँ और मैंने
उसका प्रतिफल हो तुम
हमारे लिए कल -आज और कल हो तुम l
ओ मेरी लाडो
तुम्हारी माँ के नौ महीने और नौ दिन की कठिन तपस्या का परिणाम हो तुम,
दिन -रात, रात और दिन हमारी पूजाओं और अनुष्ठान का वरदान हो तुम l
अपने दादा की आन, दादी की शान
माँ की जान, चाचा की मान हो तुम
और मेरे लिए मेरा अभिमान हो तुम l
ओ मेरी लाडो
शायद ये जो मेरी भावनाएं हैं आज, कल ना बता पाऊँ,
इसको लिख देना ही उचित समझा ताकि कल पढ़ो तो जान पाओ,
तुझे देख सवेरा होना तुझे देख रात को सोना
ये सिर्फ भावनाएं नहीं इनमे गहरा अहसास छुपा है
ये जो तेरा चेहरा है ना इसकी एक झलक पाने को ये दिल महीनों तरसा है l
ओ मेरी लाडो,
किसी को जन्म देना, कोख मे रखना
जी का मचलना, उलटी होना
नींद का उड़ना, झूठ का चिढ़ना
शरीर का बिगड़ना, पेट का चिरना
अंदर किसी का धड़कना, पैर का फूलना
दर्द का सहना और ममता को गढ़ना
ये कुछ चीजें हैं ऐसी हजारों चीजों को जो प्यार से आत्मसात करती है
ये जिसकी वजह से आज तुम बड़ी हुई हो ना
वो और कोई नहीं ‘माँ’ होती है l
ओ मेरी लाडो,
ये दुनियां उतनी आसान नहीं होगी
जितना माँ बाप का प्यार होता है
रास्तो पर कांटे होंगे
कई जगह गम के सन्नाटे होंगे
मगर तुम चलना और बढ़ना
जब थक जाओ तो रुकना
शांत होना, अपने अंदर की लाडो को ढूँढना
फिर सन्नाटों को चीर आगे बढ़ना
हमें पता है तुम दुनियां जीत लोगी
तुम मेरी बेटी हो
तुम खुद-ब-खुद ये सब सीख लोगी l
ओ मेरी लाडो,
ये पहला प्यार तुम्हें लिख रहा हूँ
इसे दिल से पढ़ना
पापा तुम्हें दिलो जान से प्यार करते है
इसे सिर्फ शब्द मत समझना l
मेरी लाडो ढेर सारा प्यार l
ओ मेरी लाडो – तुम्हारे पापा
I am Sushant wats from Deoghar Jharkhand. I live here in Gandhinagar Gujrat where I tech painting in Badri Sarjan. I love writing poetry.