नारी जीवन, a poetry by Chanda Arya, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

नारी जीवन

नारी जीवन

जीवन का पथ था काँटों भरा,
थे पग पग पर अंगार बिछे,
वह चलती रही और चलती रही,
परिभाषित करती, जीवन है चलने का नाम ।
तीव्र वचनों के बाण चले,
तीक्षण दृष्टि के वार हुए,
वह सहती रही और सहती रही,
परिभाषित करती, जीवन है स्पंदन का नाम ।
रुक गई …….. वायु शिथिल पड़ जाएगी,
रुक गई……….. प्रकृति मृत हो जाएगी,
नव जीवन का संचार न होगा,
इस धरा का उद्धार न होगा,
वह मिटती गई और मिटती गई,
परिभाषित करती, जीवन है नव प्राण देने का नाम ।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Open chat
Hello
Chat on Whatsapp
Hello,
How can i help you?