Poetry writing

साथियों कर गुज़रते हैं देश के लिए

साथियों कर गुज़रते हैं देश के लिए, इस देश के लिए, अपने देश के लिए।

ये ममता की माटी है, एकता सिखाती है,

प्रेम से बाँधकर, हौसला बढ़ाती है,

चलो इसके हित को चाहते हैं, अपने देश के लिए ।

साथियों कर गुज़रते हैं देश के लिए,इस देश के लिए, अपने देश के लिए।

छाया भ्रष्टाचार है, हर दरिद्र लाचार है,

आसुओं का मंजर है, कष्टों का ही भार है,

चलो पराजय दुखों को देते हैं, इस देश के लिए ।

साथियों कर गुज़रते हैं देश के लिए, इस देश के लिए, अपने देश के लिए।

ये सोन चिरैया है, हर भारती की मैया है,

वीरता की भूमि है, साहस की शैय्या है,

चलो इस पर सर झुकाते हैं, अपने देश के लिए।

साथियों कर गुज़रते हैं देश के लिए, इस देश के लिए, अपने देश के लिए।

वो वीर सरहद पर लड़ता है, निडरता से आगे बढ़ता है,

भारत माँ के चरणों में, पारण भी अर्पण करता है,

चलो मृत्यु को भी अपनाते हैं, इस देश के लिए।

साथियों कर गुज़रते हैं देश के लिए, इस देश के लिए, अपने देश के लिए।

अन्याय का बोलबाला है, श्वेता भीतर से काला है,

अब तो परम न्याय का, छिन रहा निवाला है,

चलो इन्साफ के लिए लड़ते हैं, इस देश के लिए,

साथियों कर गुज़रते हैं देश के लिए, इस देश के लिए, अपने देश के लिए।

हर हृदय आज स्वार्थी है, मोह का ही प्रार्थी है,

मतलबी के “मैं” रथ का लालच ही सारथी है,

चलो भाइचारे को बढ़ाते हैं, इस देश के लिए ।

साथियों कर गुज़रते हैं देश के लिए, इस देश के लिए, अपने देश के लिए।

एक दूजे का खो रहा सम्मान है, अब तो सब की अपनी आन है,

ऐसे ही शिष्टाचार का, मीट रहा मान है,

चलो आदर शैली सीखते हैं, इस देश के लिए।

साथियों कर गुज़रते हैं देश के लिए, इस देश के लिए, अपने देश के लिए।

आज भी छूत छात है, विचारों में जात पात है,

आज भी ये सोच जिंदा है, ये बड़े खेद की बात है,

चलो समानता से गले लगते हैं, इस देश के लिए ।

साथियों कर गुज़रते हैं देश के लिए, इस देश के लिए, अपने देश के लिए।

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