आज की नारी, a poetry by Neelam Chhibber

आज की नारी

आज की नारी

कहने को बहुत नाम है मेरे देवी, मां, बहन और बेटी।
किस्से, कहानी और किताबों में, ये दुनियां सम्मान बहुत है देती ।
ख्यालों और कहानी से निकालकर जमीं पर इसको लाना होगा |
नारी किसी पुरुष से कम नहीं, इसको हकीकत में दिखलाना होगा |
तुम महिला हो, तुम अबला हो, तुम बच्ची हो, रहने दो, तुमसे ना होगा,
ऐसी मिथ्या सोच को आज, हम सबको झुठलाना होगा ।
घर की चार दिवारी में कैद नहीं आज की नारी,
हर मैदान में अपना परचम लहराती,
हार कर भी जीत का हौसला दिखाती,
तेजस में उड़ान भरती, तिरंगा लहरा रही है नारी ।
बच्चों पर मां की ममता लुटाती,
पति का हर सुख दुख में साथ निभाती,
दुष्ट को मिटाने को चंडी बन जाती,
अपनी योग्यता से ऊंचे से ऊंचा पद, और सम्मान पाती,
ऐसी है आज की सबल, वीर, सशक्त और स्वाभिमानी नारी ।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Open chat
Hello
Chat on Whatsapp
Hello,
How can i help you?