इंसान और इंसानियत
इंसान कौन हैं? इंसानियत क्या है?
जो इंसान से सिर्फ प्यार करे?
या जो इंसानियत पर कब्जा करे?
अपनो से प्यार करना आसान है
खून का रिश्ता निभाना भी जायज है
पर जो अपनो से परे भी किसी को अपनाए
उसे हम और क्या कहे?
पौधो की जो भाषा समझे
बेजुबान की जो आदत समझे
समझे जो दर्द किसी लाचार का
उसी को हम इंसानियत कहे।
खुद की जरूरत को जो नाप ले
बड़ी ख्वाइशों को जो त्याग दे
किसी बेबस के आंसू को पोंछ दे
वही सही मायने में इंसान कहलाए
इनको कोई फिक्र नहीं के
आप और हम क्या कहते है!
बन नही सकते हम अगर इनके जैसा,
तो तौहीन भी न करे, इनकी जज्बों की!
I am Soma, staying in Singapore for 18 years. I am married and am a proud mother of a teenager.
I am a full time HR professional working in a medical device company in Singapore. I am passionate about writing stories, poetry, music and painting