काम अधूरे रख छोड़े हैं।
काम अधूरे रख छोड़े हैं
इस आस में की तुम आओगे
जो छोड़ी है अधूरी दास्ताँ
उसे आकर पूरा कर जाओगे
तुमने ही कहा था मुझसे की
हर काम की साझेदारी है
तो अपनी बात निभाने की
अब चलो तुम्हारी बारी है
सवालों की बारिश में
मैंने उम्मीदों के कम्बल ओढ़े हैं
वाजिब जवाबों की आस में मैंने
काम अधूरे रख छोड़े हैं
अब कर दो खत्म इंतज़ार मेरा
आकर के मिटा दो गिले सभी
हो सकता है सब पहले जैसा
बची है अंदर आस अभी…
कब तक में अकेले ही रहके
ये दो-दो फ़र्ज़ निभाऊंगी
कुछ जिम्मेदारी तुम्हारी बनती है
ये एहसास तुम्हे दिलवाऊंगी..
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