किरण कनोज़िया साहस की अमिट गाथा, a poetry by Dr. Yakshita Jain, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

किरण कनोजियाः साहस की अमिट गाथा

किरण कनोजियाः साहस की अमिट गाथा
(भारत की पहली ब्लेड रनर को समर्पित)

किरण थी एक साधारण लड़की,
सपनों से भरी, हृदय से सच्ची ।
फरीदाबाद की गलियों में पली,
शिक्षा में कुशल, निष्ठा में ढली ।
पच्चीसवें जन्मदिन पर जो घटा,
नियति ने नया अध्याय रचा।
“रेलयात्रा में थी, पथ था सरल,
पर विधि का विधान था निर्मम प्रबल । “
किंतु —
लुटेरों की नीचता ने छीन ली हँसी,
धक्का दिया, और गिरी वो वहीं ।
पटरी पर कट गई उसकी टांग,
पर न टूटी उसकी जीवट कमान ।
दर्द से लिपटी, पर न रुकी,
संघर्षों में भी अडिग रही ।
छह माह की पीड़ा झेली,
फिर भी उम्मीदों की लौ न ढली |
कृत्रिम टांग को अपनाया,
हौसले का दीप जलाया।
हर असफलता को सीढ़ी बनाया,
जीवन का नव अध्याय रचाया।
हैदराबाद मैराथन में जब दौड़ी,
हवा भी उसकी गति में जोड़ी ।
पहला पदक जब उसने जीता,
संघर्षों का मिला वो सजीव चीता ।
2017 में गौरव से नवाजी गई,
नीति आयोग से पहचान पाई ।
“स्पोर्टिंग सुपरहीरो” के रूप में चमकी,
नारीशक्ति की मशाल बन झलकी ।
उनकी वाणी प्रेरणा बनती,
हर हृदय की गहराई तक बसती-
“जो होता है, अच्छे हेतु होता,
हर क्षण जीवन को नव स्वरूप देता।
जो है, उसमें श्रेष्ठतम रचो,
हर विपदा में संकल्प जियो।
मंज़िल स्वयं बढ़ेगी तुम्हारी ओर,
बस स्वयं को बनाओ अडिग और दृढ़ कोर ! “
किरण कनोजिया — हौसले की परिभाषा,
हर नारी के लिए प्रेरणा की भाषा!

4 thoughts on “किरण कनोजियाः साहस की अमिट गाथा”

Comments are closed.