कोई नहीं यही सही, a poetry by Bhargavi Vasaikar, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

कोई नहीं यही सही

कोई नहीं यही सही

जो है उसी से खुश हो जाएंगे
जो नहीं है उसका ग़म ना मनाएंगे
किस्मत का खेल भी समझ ही जाएंगे
हम भी काबिल है कुछ ना कुछ तो करके ही दिखाएंगे
क्या गिले क्या शिकवे
क्या दुख और क्या सुख
अब सब एक जैसे ही लगेंगे
कोई नहीं यह पड़ाव भी हम हंस के सह लेंगे
माना समस्याएँ अब रोज होंगी
सब्र करो यह मेहमान भी कभी ना कभी तो जाएंगे
लड़ना है यह तो तय है फिर क्यों हम पीछे हटेंगे
नहीं भाई नहीं करने का टैग हम नहीं लगवाएंगे
पता है यह पल आसान नहीं होंगे
यूं ही यह रास्ते न कटेंगे
सब पता है फिर क्यों शिकायतों का बोझ उठाएंगे
थोड़ा लड़के थोड़ा रो के अच्छे पलों की राह देखेंगे
कभी ना कभी तो हम भी कामयाब होंगे
इसके लिए कोशिश तो हम पूरी करेंगे
तब का तब देखेंगे
फिलहाल तो कुछ न होने से अच्छा यही सही
जो है उसी से खुश हो जाएंगे
जो नहीं है उसका ग़म ना मनाएंगे
क्योंकि हम भी इंसान हैं कभी ना कभी तो इस दुनिया से जाएंगे
लेकिन जब तक है तब तक इसे अच्छे से बिताएंगे।

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