चाय सी जिदंगी
जिदंगी चाय सी
नजर आती है,
कभी दुखों की काली तो
कभी सुखों की दूध जैसी
चाय सामने आ जाती है,
निकलती रहती है भाप भी
गरम परिस्थितियों माफिक,
सब्र की फूंक से धीरे-धीरे
हलक से नीचे की जाती है,
उड़ जाती है थकान
कोशिशों के छोटे-छोटे घूँट से,
सफलता की मिठास से
चेहरे पर मुस्कान आ जाती है,
होता है ताजगी का अनुभव
संघर्ष की थकान उतर जाती है,
होता है जो चुनौतियों और चाय का आदी
फीकी-तीखी, हाफ-फुल
हर चाय चल जाती है,
लेते रहते है वे चाय और
जिदंगी का एन्जॉय,
प्याली और ताली
हर बार उन्हीं के हिस्से में आती है।

मध्यप्रदेश में जन्में अटल कश्यप ने रसायन-विज्ञान विषय में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की है। वर्तमान में लेखन कार्य में सक्रिय होने के साथ प्रतिष्ठित फार्मास्यूटिकल्स कंपनी में नैरोबी, केन्या(अफ्रीका)में सीनियर पद पर कार्यरत है। अभी तक इनके आठ हिंदी काव्य-संग्रह प्रकाशित हो चुके है। इनसे atalkashyap@yahoo.co.in पर संपर्क किया जा सकता है।