चुनौती, a poetry by Pratibha Singh, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

चुनौती

चुनौती

डर मत ,रुक मत ,हार मत
मैदान छोड़ कर भाग मत ।।
आज समय ने तुझे गिराया है,
कल वही तुझे उठाएगा ।।
पल भर में खिलौना टूटता है
पल भर में जुड़ जाता है ।।
जिंदगी कभी हसाती है ,
तो जिंदगी कभी रुलाती है ।।
डर मत ,रुक मत ,हार मत
मैदान छोड़ कर भाग मत।।
आज जीवन में अंधेरा है ,
तो कल उजाला भी आएगा ।।
आज राह में कांटे है,
कल फूलों का बिछौना होगा।।
पतझड़ में पत्ते गिरते है ,
बसंत में हरे हो जाते है ।।
डर मत ,रुक मत ,हार मत
मैदान छोड़ कर भाग मत ।।
कश्ती भी लहरों से टकराती है,
तब जाकर किनारा पाती है ।।
जीवन में सफ़लता पानी है,
तो हर मुश्क़िल एक चुनौती है।।
नींद को अब त्यागना है,
और एक नया इतिहास लिखना है।।
डर मत ,रुक मत ,हार मत
मैदान छोड़ कर भाग मत ।।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Open chat
Hello
Chat on Whatsapp
Hello,
How can i help you?