ज़िन्दगी खूबसूरत है
ज़िन्दगी खूबसूरत है पत्ते पर गिरी ओस की तरह,
बस नज़र भर देखने की ज़रुरत है।
ख़ुशी छुपी है मन में, सीप के अन्दर मोती की तरह,
बस उसकी ठंडक महसूस करने की ज़रुरत है।
कभी-कभी ज़िन्दगी झुलस जाती है अपनों की दी हुई आग से,
उस आग में तप कर कुंदन बन जाने की ज़रुरत है।
कौन कहता है अपनों के खून में अपनेपन की गर्मी होती है,
स्वार्थ की ठंडक उसमें भी बर्फ जमा देती है।
तो उठ, तारों सा बुलंद हो जा,
सूरज बन, सबको रास्ता दिखा , तू
पथभ्रामक नहीं पथप्रदर्शक बन,
रोशनी फैला, जग को उजियारा कर दे।
दो चार की नज़रों में न आ, कट के रह जायेगा,
तू मन बड़ा और करोड़ों की नज़र बन जा।….. क्योंकि
ज़िन्दगी खूबसूरत है पत्ते पर गिरी ओस की तरह,
बस नज़र भर देखने की ज़रुरत है।
ख़ुशी छुपी है मन में, सीप के अन्दर मोती की तरह,
बस उसकी ठंडक महसूस करने की ज़रुरत है।
I am an educator working in the University Library, G.B. Pant University of Agriculture and Technology, Pantnagar, Uttarakhand.