जिंदगी हर पल कुछ नया सिखाती हैं।
की जिंदगी हर पल कुछ नया सिखाती हैं|
हर सुबह माँ की मुस्कान नहीं उठाएगी,
तो हर रात किताब लोरी नहीं सुनाएगी,
हर दिन पापा अपने हाथों से खाना नहीं खिलाएगें,
तो हर समस्या का समाधान शिव सपनों में आकर नहीं बताएंगे,
की जिंदगी हर पल कुछ नया सिखाती हैं|
कहने को तो हर खुशी में लोग साथ होंगे
पर दिल से शायद अपने नहीं होंगे,
हर खुली आँखों से देखे सपने शायद पूरे नहीं होंगे,
की जिंदगी हर पल कुछ नया सिखाती हैं|
हर mood swings पर chocolate की मिठास नहीं भाएगी,
हर बार भंवरे को गुलाब की खूबसूरती नहीं लुभाएगी,
हर शाम कोयल गीत नहीं सुनाएगी,
तो हर सखी अपना मीत नहीं बनाएगी,
की जिंदगी हर पल कुछ नया सिखाती हैं|
हर नम आँखें अपना गम नहीं बताएगी,
पतझड़ के मौसम की हर डाली अपना दुःख नहीं जताएगी,
हर रोज एक नई खुशी साथ नहीं होगी,
हर उस आँसू को छिपाने के खातिर बरसात नहीं होगी,
की जिंदगी हर पल कुछ नया सिखाती हैं|
नर्मदा नदी से निकला हर पत्थर शिवलिंग नहीं होगा,
हर पूर्णिमा की शाम चकोर को चांद का इंतज़ार नहीं होगा,
हर उस नदी की धारा का समुद्र से मिलन नहीं होगा,
हर दफ़ा सूरजमुखी को सूरज का दीदार नहीं होगा,
की जिंदगी हर पल कुछ नया सिखाती हैं|
हर लम्हा खुद को शीशे मे निहारने का मन नहीं होगा,
हर सुबह खुद के लिए सँवरनें का नया जुनून नहीं होगा,
हर शाम ढलता हुआ सूरज तेरी दिनभर की बातें नहीं सुनेगा,
हर उस छिपे ज़ज्बात को ज़ाहिर करने के ख़ातिर कलम साथ नहीं देगा,
की जिंदगी हर पल कुछ नया सिखाती हैं|

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