तुम्हें मैं नहीं चाहिए
तुम्हें चाहिए एक कंधा जिस पर माथा रख सको जब चाहो
तुम्हें मां का रिप्लेसमेंट, तुम्हारा ध्यान रखने वाली आया चाहिए
तुम्हें अच्छी लगती है वो किचन में खटती हुई
तुम्हें वक्त पर टिफिन और स्वाद चाहिए
तुम्हें मैं नहीं चाहिए
हां में हां मिला ले कभी तर्क न करे, बस काम कर दे
तुम्हारी दिनचर्या में खलल कोई नहीं चाहिए
हुकुम मानने वाली, तुम दया करो वो झुकी रहे
एक नर्स तुम्हारे मां बाप बच्चों का ध्यान रखने वाली चाहिए
तुम्हें मैं नहीं चाहिए
अपने दोस्तों के सामने जिसकी डिग्री की शेखी बघार सको
लेकिन पलट के कभी कोई उम्मीद न करे वो ऐसी चाहिए
अपमान का बुरा न माने, बस मुस्कुराती रहे
तुम्हें औरत नहीं, EMPLOYEE, CARETAKER, TROPHY चाहिए
तुम्हें एक हंसती खेलती मशीन चाहिए
तुम्हें एक ASSISTANT बेहतरीन चाहिए
तुम्हें मैं नहीं चाहिए

उर्मि दर्शन राठोड “उर्मि रूमी” पुणे की निवासी हैं लेकिन आत्मा मूल निवास स्थान भोपाल में ही बसती है। विज्ञापन में स्नातक और स्नातकोत्तर शिक्षा माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से प्राप्त की, और दोनों ही में यूनिवर्सिटी टॉपर रहीं। जड़ें भोपाल के प्राइवेट रेडियो से निकली हैं, जहाँ 94.3 माय एफ़ एम में रेडियो जॉकी और कॉपीराइटर रहीं तथा आकाशवाणी पर कविता पाठ वगैरह भी किया। पिछले १५ साल से सक्रिय रूप से लिख रही हैं। पहले पहल कवितायेँ, कहानियां खुद के लिए; और मार्केटिंग कंटेंट राइटिंग क्लाइंट्स के लिए करती रहीं, सालों ईबुक्स और आर्टिकल्स / ब्लॉग्स लिखे । फिर कंटेंट कंसल्टेंसी की, खुद का पॉडकास्ट शुरू किया तथा एक किंडल किताब भी लिखी। २०२१ से अब तक ३ स्वयं की किताबें प्रकाशित हो चुकी है: एक कविताओं का संग्रह ‘तू आग है’ और दो कहानी संग्रह: ‘छोड़ अकेला फिर जाओ’ और ‘ड्रामा क्वीन’। कुछ कमीशन्ड लेखन कार्य भी किए हैं। पुणे के विभिन्न कॉलेजों में वर्षों से विसिटंग फैकल्टी के रूप में सतत पढ़ा रही हैं । मास कम्युनिकेशन तथा एडवरटाइजिंग विषय इनके चयनित विषय हैं जो एम बी ए के भी विषय थे। इनके शिष्य नामी संस्थाओं में बतौर मीडिया कर्मी नाम काम रहे हैं।
एक पुत्री की माँ हैं और एक श्वान की भी।