तुम्हें मैं नहीं चाहिए, a poetry by Urmi Rumi, Celebrate Life with Us at Gyaannirudra

तुम्हें मैं नहीं चाहिए

तुम्हें मैं नहीं चाहिए

तुम्हें चाहिए एक कंधा जिस पर माथा रख सको जब चाहो
तुम्हें मां का रिप्लेसमेंट, तुम्हारा ध्यान रखने वाली आया चाहिए
तुम्हें अच्छी लगती है वो किचन में खटती हुई
तुम्हें वक्त पर टिफिन और स्वाद चाहिए
तुम्हें मैं नहीं चाहिए
हां में हां मिला ले कभी तर्क न करे, बस काम कर दे
तुम्हारी दिनचर्या में खलल कोई नहीं चाहिए
हुकुम मानने वाली, तुम दया करो वो झुकी रहे
एक नर्स तुम्हारे मां बाप बच्चों का ध्यान रखने वाली चाहिए
तुम्हें मैं नहीं चाहिए
अपने दोस्तों के सामने जिसकी डिग्री की शेखी बघार सको
लेकिन पलट के कभी कोई उम्मीद न करे वो ऐसी चाहिए
अपमान का बुरा न माने, बस मुस्कुराती रहे
तुम्हें औरत नहीं, EMPLOYEE, CARETAKER, TROPHY चाहिए
तुम्हें एक हंसती खेलती मशीन चाहिए
तुम्हें एक ASSISTANT बेहतरीन चाहिए
तुम्हें मैं नहीं चाहिए

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