दुनिया, a poetry by Minkal Narula

दुनिया

दुनिया

नशा होता नहीं नशा करना पड़ता है
इस दुनिया में सबसे संभल के चलना पड़ता है
कौन किसका है ये बात कोई नहीं जानता है
एक ऊपर वाला ही है जो सबको अच्छे से पहचानता है
सीख तो हमें वक्त देता है कदर न पाकर भी सबको हक देता है
पर रुकता नहीं वो किसी की बेकद्री या कदर से
चलता है वो अपने ही हुनर से
कर्म अच्छे करो फल ईश्वर देगा
तेरी टूटी वाणी में भी वो स्वर भर देगा
उदास होने दी वजह वी हाउंडी ने
बेकद्री दी सजा भी हाउंदी ने
खुशी नाल जीवन बिताओ
माता पिता का आशीर्वाद लेके आगे बढ़ते जाओ

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