बढ़ा कदम
बढ़ा कदम, बढ़ा कदम,
तुझमें है दम, तुझमें है दम !
तू करता आया है ,तुझे करना ही होगा,
हार तू मानेगा नहीं, तुझे जीतना ही होगा..
तुझे तेरी कसम, तुझे तेरी कसम,
बढ़ा कदम, बढ़ा कदम,
तुझमें है दम, तुझमें है दम!!
वो भी इक दौर था,जब तू निराश था ,
तुझे तेरा ही था वास्ता ,
तू करता गया,तू बढ़ता गया ,
फिर तेरी जीत का सिलसिला चलता गया..
अब ये भी इक दौर है,तू हार के क्यूँ बैठा है
जब सपनों से भरी तेरी आंखें,
तू क्यों इनसे रूठा रहता है
चल उठ,उठ खड़ा हो,
न बैठ तू हार के….
तुझे पता है यही ज़िंदगी का सार के…
जब कल गुजर गया तो आज की क्या मजाल है!
सब समय का है हेर फेर,
इस समय की की सब चाल है!!
तुझे करना ही होगा तेरे सपनों के लिए,
तुझे लड़ना ही होगा तेरे अपनों के लिए,
तू तेरी ही पहचान है,
कुछ बड़ा करने को हुआ तेरा जन्म !
बढ़ा कदम, बढ़ा कदम,
तुझमें है दम, तुझमें है दम!!!
I am Deepti ,a homemaker, a charming lady, passionate to read and write poems.
Best poem writer
Thank you 😊