मां ऐसी ही होती है, a poetry by Prexa Dharmendrabhai Shah

मां ऐसी ही होती है…

मां ऐसी ही होती है…

कोख में पल रहा बेटा तो बातें शान कि होती है,
लेकिन मां के लिए बेटी भी बेटे के समान होती हैं,
यह दुनिया तो अक्सर कहेंती हैं कि वह मां है,
और हर मां बस ऐसी ही होती हैं….
मेंरे में संस्कार का पहला बीज सिर्फ वे बोती है,
मेरे गीले किये हुए बिस्तर पर सिर्फ़ वे सोती है,
यह दुनिया तो अक्सर कहेंती हैं कि वह मां है,
और हर मां बस ऐसी ही होती हैं….
मेरे हर सपनों को मेहनत के धागों में पिरोती हैं,
मुश्किल में सिर्फ वही मेरे साथ खड़ी होती है,
यह दुनिया तो अक्सर कहती हैं कि वह मां है,
और हर मां बस ऐसी ही होती हैं….
मेरे दुःख में मुझसे ज्यादा सिर्फ वही रोती है,
मेरे खातिर हर सपना चार दिवारी में खोती है,
यह दुनिया तो अक्सर कहती हैं कि वह मां है,
और हर मां बस ऐसी ही होती हैं….
मेरे नाम का धागा हर मंदिर में रोज लपेटती हैं,
बिखरे हुए वजुद के टुकड़े युही समेटती हैं,
यह दुनिया तो अक्सर कहती हैं कि वह मां है,
और हर मां बस ऐसी ही होती हैं…..
वैसे तो वे किसी की बेटी, बहन और पोती है,
लेकिन मां हर रिश्ते से ऊपर सिर्फ मां होती हैं,
यह दुनिया तो अक्सर कहेंती हैं कि वह मां है,
और हर मां बस ऐसी ही होती हैं…..
वैसे तो हर पल उसके लिए एक नई चुनौती हैं,
जीवन का वही एक सबसे अनमोल मोती हैं,
यह दुनिया तो अक्सर कहती हैं कि वह मां है,
और हर मां बस ऐसी ही होती हैं…..

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